मृग मरीचिका
दिल ही तो है… भागता ही रहता है… :)
Friday, 14 December 2012
इन्तज़ार का वक़्त है…
कल कल बहती बेकल नदी सी हूँ…
पर इन्तज़ार का वक़्त है…
हौले हौले गुज़र रहा है…
इस पार मैं दिल थामे बैठी हूँ...
और उस पार कोई सपना मेरा…
बन सँवर रहा है…
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